होता था हमें भी इंतजार किसी का
चाहते थे पाना हम प्यार किसी का |
पर कर न सके हम इजहार ए इश्क
डरते थे सुनने से इनकार किसी का ||
मैं मन की बात मन में दबाये ही रहा
खौफ़ ए इनकार बढता रहा सदा |
अब नहीं जाना मुझे कभी उस डगर
होता था जहाँ पर दीदार किसी की ||
मैं मन की बात मन में दबाये ही रहा
खौफ़ ए इनकार बढता रहा सदा |
अब नहीं जाना मुझे कभी उस डगर
होता था जहाँ पर दीदार किसी की ||