Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Saturday, April 23, 2011

पशुओं की पुकार

मानव छोड़ो बुरा आचरण और सीखो तुम सत आचार |
अब छोड़ो   माँस   का भक्षण अपनाओ तुम शाकाहार ||
होता नहीं सहन अब हमसे , थोड़ी सी तो दया विचार |
कहते   मूक     पशु     बेचारे ,  बंद करो ये अत्याचार ||

बंद करो ये     भूचड़खाने      , जिनमे कटते पशु हजार |
अभी समय है बदलो जीवन ,खोलो नहीं नरक का द्वार ||
खोया अगर समय यह तुमने ,कभी नहीं आता दो बार |
कहते   मूक     पशु     बेचारे ,  बंद करो ये अत्याचार ||


विषयों की अग्नि में जलकर , होता नहीं कभी कल्याण |
हड्डी के सम नीरस है, जिसे स्वाद मानकर खाता श्वान  ||
मूक     पशु पर दुराचार कर , बनते हो तुम क्यों बेकार |
कहते   मूक     पशु     बेचारे ,  बंद करो ये अत्याचार ||


छोड़ो  अपना   बुरा क्रूर हठ , और सुनो तुम पशु पुकार |
अभी सम्हल जा नहीं तो आगे ,भटकोगे तुम सब संसार ||
दया धरम को धारण करके , पाओगे तुम सौख्य अपार |
कहते   मूक     पशु     बेचारे ,  बंद करो ये अत्याचार ||

गुरु तुम्हे नमन

हे     श्रमणों     के उन्नायक , गुरुवर अविकारी तुम्हे नमन |
जीवन निर्माता शिल्पिकार , हे गुणों के आगर तुम्हे नमन ||
हे काव्य सृजक साहित्यकार ,हे तपो निधि गुरु तुम्हे नमन |
हे परम दिवाकर तेजस्वी , हे     विद्यासागर     तुम्हे नमन ||

हे सौम्य स्वभावी समताधारी , हे करुना सागर तुम्हे नमन |
 जिन धर्म प्रभावक ओजस्वी,हे त्याग मूर्ति गुरु तुम्हे नमन ||
हे जिनवानी के उदघोषक,हे वात्सल्य मूर्ति गुरु तुम्हे नमन |
हे परम दिवाकर तेजस्वी , हे     विद्यासागर     तुम्हे नमन ||

हे संत शिरोमणि मुनि प्रवर ,हे ज्ञान उजागर तुम्हे नमन |
हे कठिन साधना में निरत , हे ज्ञान के सागर तुम्हे नमन ||
हे     अमित     गुणों के भंडारी , हे वाणी भूषण तुम्हे नमन |
हे परम दिवाकर तेजस्वी , हे     विद्यासागर     तुम्हे नमन ||