Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Sunday, October 16, 2011

Betaa (Pakistan se rista)




यह कविता पांच वर्ष पूर्व लिखी गई थी जिसमे माँ और बेटे के रिश्ते को भारत और पाकिस्तान के साथ जोड़कर प्रदर्शित किया गया है | लेकिन यह कविता सिर्फ भारत और पाकिस्तान को प्रदर्शित नहीं करती बल्कि हर माँ का जो रिश्ता और प्रेम अपने पुत्र के साथ होता है चाहे वह कुपुत्र ही क्यों न हो ,प्रदर्शित करती है |

पाकिस्तान से रिश्ता अपना , मैंने आज अभी जाना |
हम सब भारत माँ बेटे , वह उसका टुकड़ा प्यारा ||
वह उसका है दिल का टुकड़ा , बेटे के जैसा प्यारा |
इस रिश्ते से भाई हुआ है, वो  ही पाकिस्तान हमारा ||

इस माता के जितने बेटे . सब ही उसको है प्यारे  |
पर इन सबसे राज दुलारे , भ्राता पाकिस्तान हमारे ||
प्यारा था माँ को वह बेटा , अतः बिठाया कांधे पर |
पर वह इसका अर्थ न समझा, सोच रहा बैठू सर पर ||

( उपर्युक्त  पद में यह बात बतलाई है की कोई माँ यदि किसी पुत्र से  अधिक प्यार करती है तो उसे हमेशा उचाई  पर देखना चाहती है लेकिन सामान्यतः यह भी देखा जाता है की अधिक  लाड प्यार मिलने से पुत्र बिगड़ भी जाया करता है | यदि कश्मीर को भारत माता का मस्तक मान लिया जाये तो पाकिस्तान की स्थिति इस तरह लगती है जैसे भारत माँ ने अपने ज्यादा प्यारे बेटे ( पाकिस्तान ) को कन्धे पर बिठा लिया हो | और इसी लाड प्यार के कारण वह बिगड़ गया हो  )  

माँ कोई  हो कैसी भी हो , पुत्र उसे होते प्यारे  |
चाहे वह फिर उसे सताए, या फिर उसको ही मारे ||
माँ तो लेकिन माता होती, नहीं कुमाता बन सकती |
बेटा उसको भले सताए ,फिर भी सब कुछ सह लेती ||

ऐसा ही तो बेटा है वह ,जिसे पाक हम कहते है |
माता उसको नहीं सुहाती, माता उसको नहीं प्यारी ||
माँ अपनी ममता के खातिर, सारे दोष क्षमा करती |
पर वह बेटा  समझ न पाता, माता की ममता प्यारी ||

(हमारा देश क्षमावान वीरो की भूमि रही है ,पाकिस्तान को भी कई बार क्षमा किया पर वह आज तक अपनी औकात नहीं समझ पाया और क्षमा को हमारी कमजोरी समझ बैठा | माँ भी अपने बच्चे के सब दोषों क्षमा कर देती है , वह उसकी कमजोरी नहीं उसका प्यार है   )

कश्मीर माता का मस्तक ,जिसे काटना है प्यारा |
पाकिस्तान नाम है जिसका , ऐसा बेटा हत्यारा ||
फिर भी माता नहीं रूठती , उसे मनाया करती है |
पर वह बेटा क्रूर हठी है , उसको ममता बेमानी ||

घाव कई माता को देता, करता रहता मनमानी |
उसे मनाया कई बार पर , उसने एक नहीं मानी ||
पर है माँ के वीर पुत्र , जो माँ का दुःख न देख सके |
उनके एक प्रहार मात्र से ,उसे पड़ी मुह की खानी ||

(क्षमा का अर्थ डरना नहीं होता बल्कि वीरता पूर्वक अपनी शान  की रक्षा  करते हुए शत्रु से अपनी रक्षा करना और उस पर विजय प्राप्त कर छोड़ देना है )

अब भी माता पुनः मनाती ,पर वह बुद्धिहीन मानी |
उसे नहीं सुख शांति प्यारी ,अतः बना वह अपराधी ||
पछतायेगा हर कोई वह , जिसको माँ से प्यार नहीं |
क्योंकि रक्षक है हर बेटा , जो बेटा गद्दार नहीं ||

( हर पुत्र बुरा नहीं हो सकता और जो नेक है वह ही अपनी माँ का  रक्षक है )

पाकिस्तान एक था  ऐसा, करता रहता गद्दारी  |
पर अब एसे  कई हजारों , जिनको  दौलत है प्यारी ||
दौलत शोहरत के ही खातिर ,माँ को धोखा देते है |
दौलत है  अब इनकी माता, दौलत की है बलिहारी  ||

पाकिस्तान तो बाहर रहता, बहार से रंग दिखलाता  |
पर अन्दर है कई पुत्र,  जिनका है टूट गया नाता ||
भारत माँ को धोखा  देते, देश को बेचा करते है |
जिसका है परिणाम भयंकर, पर नहीं उससे डरते है ||

(यह पंक्तियाँ देश राजनीती को प्रदर्शित कर रही और यह बता रही है की  अब खतरा सिर्फ सीमा रेखा के बाहर ही नहीं अंदर भी है )

एसे कई जो देश चलाते , नाम देश के खूब कमाते |
भारत माता सीधीसादी , उसको ही दुःख पहुंचाते ||
माता सब कुछ देख रही है ,जान  रही पहचान रही |
सोच रही कब दुनिया बदले, मेरा अब सम्मान नहीं ||


माँ रोती है आँख भिगोती ,  सकुचाती है कहने में |
मेरे बेटे गलत रह पर , इनको समझ नहीं आती ||
माँ की आन वान सब भूले, माता का अब मान नहीं |
जिस भूमि पर जन्म लिया है , अब उसका सम्मान नहीं ||

( अब भारत माँ ही नहीं दुनिया की अधिकांश माताओं का यही हो गया है )

अपनी माँ की भाषा भूले , बोल विदेशी बोल रहे |
संस्कृति थी जो माता की , उसको ही हम भूल रहे ||
भारत माता की जय भूले, नेताओ की जय बोल रहे |
जिस प्याले में दूध पिया था, उसमे ही विष घोल रहे ||

( अगली पंक्तियाँ देश का संक्षिप्त इतिहास बतला रही की भारत भूमि ने कितने परिवर्तन देखे है और कितने कष्टों को सहन किया है )

सोने की चिड़िया थी धरती , बनी वही फिर रेतीली |
अंग्रजों का शासन देखा,    देखी  वीरों की टोली ||
देखे थे फिर कई युद्ध , और देखी  पाक की मनमानी |
अब देख रही है देश बिक रहा, है पुत्रों की यह नादानी ||


इतना सब कुछ देख चुकी माँ ,दंड किसी को नहीं दिया |
माँ की ममता ने तो अब भी ,उन्नति का आशीष दिया ||
कहती है माँ सब पुत्रों से ,चाहे तुम मुझको बेचो |
खुश रहना इस दुनिया में तुम, क्या होगा मेरा मत सोचो ||

( माँ के प्रति हमें अपना कर्त्तव्य हमेशा याद रखना  चाहिए )

अब तो जागो देश के प्यारो ,अपना कर्त्तव्य निभाना है |
माता ने जो कष्ट सहे है , उनको आज मिटाना है ||
अपनी मात्र भूमि के आगे , सब मिल बलिहारी जाओ |
यदि नहीं कुछ भी कर पाओ ,तो दुःख माँ को न पहुचाओ ||