Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Sunday, February 20, 2011

Lakshya

चल उठ बढ़ चल निशदिन अविरल 
अड़चन   कर   दूर   निरत  आगे |
हो  ध्येय  यदि द्रढ़तम निश्चित 
वही  ध्यान  सतत  मन में जागे ||

हो साथ कोई या  कोई नहीं
हो  राह  वही या राह नयी |
हो  मित्र  कोई हो या  शत्रु 
हो फूल कई या शूल कहीं ||

संकल्प शक्ति यदि जागे अरे 
तब व्यक्ति किसी से नहीं डरे |
बढ चले यदि अपने पथ पर
परवाह  व्यर्थ  की  नहीं  करे ||

विघ्नों   और   बाधाओं   का
परिहार वही कर सकता है |
चलकर ऐसे कंटक पथ पर 
मंजिल  को  पा  सकता है ||