Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Monday, April 22, 2013

खुशी का ठिकाना

 
था ले मशालें ढूँढता मै,

ऐ खुशी तेरा मकां |

है बंद आंखे धाम तेरा,

ये न था मुझको पता ||

Saturday, March 16, 2013

हंस सकते तो आज हँसो तुम


हास्य काव्य जब लिखने बैठा,
 कलम हमारी रो बैठी |
रक्तयुक्त आँखें दिखलकर,
और अकड़ मुझसे ऐठी ||

कहती तुम सब खूब हँसे हो,
व्यर्थ राग तुक तानों पर |
देख दूसरों की कमजोरी,
और द्वयर्थी गानों पर ||

कभी स्वयं की नजरें फेरो,
हुई दुखद जो घटनाएँ |
आज बदलती दशा देश की,
जो हम सबको बतलाये ||

गबन करोड़ों करने बाले,
नेता संसद में बसते |
देश की इस कमजोरी पर,
क्या हम सब मिलकर के हँसते ||

खूनी पंजा गाढ़ रहा जो,
भारत माँ की छाती पर |
भारतवासी कोई हंसा क्या,
आतंक से हुई बरबादी पर ||

ओर पतन की बढ़ता भारत,
इसमे भी क्या रस लोगे |
हमला मुनियों पर होता है,
इस पर भी क्या हंस लोगे ||

दिल्ली की घटना ही देखो,
कहाँ सुरक्षित महिलाएं |
इस लज्जित घटना पर कैसे,
हास्य काव्य लिख मुस्काए ||

दगाबाज दुश्मन सीमा पर,
गला काट कर ले जाए |
हास्य कहाँ उत्पन्न करू मैं,
हुई दुखद कुछ घटनाएँ ||

मृत सैनिक के भीतर जीवित,
नक्सल बम रखकर भेजे |
अमानवीयता विश्मयकारी,
हास्य कहाँ इसमे लेखें ||

कई विलखते चेहरे देखे,
इलाहाबाद स्टेशन पर |
घटना दुख पहुचाने वाली,
हास्य लिखूँ कैसे उस पर ||

लथपथ लाशें बिछी हुई थी,
आक्रंदन था बाजार में |
हँसे नहीं हम नम आँखें थीं,
विष्फोट हैदराबाद में ||

हँस सकते तो आज हँसो तुम,
बढ़ते भ्रस्टाचारों पर |
हँस सकते तो आज हँसो तुम,
देश के इन गददारों पर ||

हँस सकते तो आज हँसो तुम,
धर्म के उन बाज़ारों पर,
हँस सकते तो आज हँसो तुम,
अपने काले कामों पर,

हँस सकते तो आज हँसो तुम,
अपने बुरे विचारों पर |
हँस सकते तो आज हँसो तुम,
अपनी कुटिल निगाहों पर ||

हँस सकते तो आज हँसो तुम,
बुझी हुई चिंगारी पर |
हँस सकते तो आज हँसो तुम,
अपनी इस लाचारी पर ||

देश आज शमशान बना है,
क्योंकि हम सब बहुत डरे हैं |
अपनी इस कमजोरी से,
हम सब जीवित नहीं मरें हैं ||

बहुत सरल दूजों पर हँसना,
एक बार खुद पर हँस लो |
दूर बुराई करने अपनी प्रणकर,
आज कमर कस लो ||

अमित जैन 
16/03/2013 

Monday, October 15, 2012

इनकार का कारण

इनकार  का कारण 

चलो  स्वीकार करता हूँ 
हाँ मुझको प्यार है उससे ।।
मगर इजहार करने  से ।
अभी इनकार है मुझको ।।

करे जो प्यार  दुनिया में,
सुना है दर्द पाता है ।।
कहो ये दर्द कैसे दूँ ,
जिसे मैं प्यार करता हूँ ।।

Tuesday, April 3, 2012

शिकायत लोग करते हैं


जिन्हें वे दूर जाने को,
स्वयं मजबूर करते हैं | 
उन्ही के याद आने की,
 शिकायत लोग करते हैं ||

है दूरी प्यार का कारण,
बताया लोग करते हैं |
उन्ही के पास आने पर,
शिकायत लोग करते हैं ||

उम्र भर प्यार सच्चे की,
परीक्षा लोग करते हैं |
उन्ही के रूठ जाने पर,
 शिकायत लोग करते हैं ||

प्रेम के गीत है गाते,
 प्रेम को ब्रम्ह कहते हैं |
किन्ही के प्रेम करने पर,
 शिकायत लोग करते हैं ||


स्वयं देते दगा सबको,
दिखावा रोज करते है |
पर भरोसा तोड़ जाने की,
शिकायत लोग करते हैं ||

सभी खुशियाँ ज़माने की,
इकट्ठी कर नहीं पाते |
उमर के बीत जाने की,
 शिकायत लोग करते हैं ||

समर्पण को स्वयं से ही,
वे कोशों दूर रखते हैं |
किस्मत में न होने की,
शिकायत लोग करते है ||

स्वयं की खामियां अक्सर,
छिपाया लोग करते हैं |
मगर मजबूर होने की,
शिकायत लोग करते हैं ||

वे अपने सोचने के ढंग को,
 नया आकार देते हैं |
सभी के बदल जाने की,
शिकायत लोग करते हैं ||

खुशी के बाँट देने से,
कमी आती नहीं उसमे |
पर किसी के मुस्कुराने की,
शिकायत लोग करते हैं ||

अमित जैन
2/4/2012

Saturday, March 3, 2012

बेहाल

क्या कहे किस्मत मेरी क्या कर रही कमाल है ।

अब वे नहीं रखते खबर जिनके लिए बेहाल हैं ।।

Monday, February 27, 2012

Behaal

क्या कहे किस्मत मेरी क्या कर रही कमाल  है ।

वे पूछते है हाल ऐ दिल जिसने किया बेहाल है ।।

Wednesday, February 22, 2012

समझ

मैं निरा मूरख समझ अल्फाज की मुझमे नहीं |

क्या समझ वह पाउँगा जिसकी कोई भाषा नहीं ||

Saturday, February 18, 2012

चाहत

जो मिले चलकर सतत वह मील का पत्थर रहे |

मैं चाहता हूँ जिंदगी भर रास्ते न हों खतम ||

Sunday, February 12, 2012

ग़लतफ़हमी

शब्द मुखरित ना हुए, फिर शोर ये कैसा हुआ |

आग बिन प्राचीर पर , है उठ रहा कैसा धुआं ||

खोदते हैं आज सब क्यों ग़लतफ़हमी का कुआँ |

और क्यों कहते सम्हल तू , प्रेम का रोगी हुआ ||

Sunday, December 11, 2011

हमसफ़र

रास्तें सब एक हों , और मंजिलें भी एक हों |

है न कोई हमसफ़र, जिसके इरादे नेक हो ||

साथ में था कौन आया , साथ में जो जायेगा |

आएगा जब मोड़ कोई, भेद सब खुल जायेगा ||