Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Friday, July 8, 2011

गलतफहमी

यह इन्सान नहीं ,
 पिटारा है
गलतफहमियों का |
क्योंकि 
सोचता है, 
हर छुपी हुई चीज 
होती है खजाना |
अतः 
कुरेदता है,
जीवन के हर पल को 
बड़ी बेदर्दी से 
होकर सच्चाई से अनजाना |
बढता है आगे रौंदकर 
बचपन की मासूमियत को ,
ढूँढने 
अनजान सी खुशियों का खजाना |

सोचकर 
की पायेगा 
अगले पल 
देता है बलि ,
हर एक पल की ,
कीमत न समझकर 
और 
बीतता है 
जीवन 
साल दर साल |

सोचता है 
पढ़कर ,
बढ़कर ,
कमाईकर ,
जीवनसाथी में ,
संतति में ,
संपत्ति में ,
पा जायेगा
वह
अनजान सी ख़ुशी का खजाना | 
जिसकी है तलाश |

पर 
ख़ुशी की रेत का घरोंदा
बहा ले गई 
अगली चाहत की 
हर एक लहर |
 और 
अंततः
लौटता है खाली हाथ  
बेरंग |

गवांकर 
जीवन की हर साँस 
और हर पल की ख़ुशी का
खजाना ...........



क्यों

देखना तुमको हमेशा ,
दिल मेरा क्यों चाहता |
 हाथ में हो हाथ तेरा ,
साथ हो क्यों चाहता ||

स्वप्न में आये तू ही ,
जब आँख मेरी बंद हो |
जब आँख खोलूं तो तेरा ,
दीदार हो क्यों चाहता ||

कुछ अनकही कुछ अनसुनी ,
आवाज क्यों पहचानता |
क्यों दिल मेरा तेरी ख़ुशी को 
ख़ुशी अपनी मानता ||

क्यों आँख भर आती मेरी ,
नम आँख तेरी देखकर |
क्या जानते हाल-ए-दिल,
या हो अभी  भी बेखबर || 

मौत

दो 
विरोधाभासी
भी
एक हो जाते है ,
मौत के भय से |
अनिश्चित 
और 
सुनिश्चित 
की तरह |
जैसे दोनों दिखाई देते है , 
एक साथ 
मौत में |

क्योंकि
मौत 
अनिश्चित है 
जाने कब आ पाए  ,
साथ ही 
दुनिया में
मौत से ज्यादा
सुनिश्चित 
और कुछ भी तो नहीं |||