Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Friday, February 18, 2011

कविता लिखने का प्रयास पिछले कुछ  वर्षों से करता आ रहा हूँ पर वे कवितायेँ कभी डायरी से बाहर नहीं निकल सकी क्योंकि मैं हिम्मत नहीं कर पाया उन्हें किसी भी रूप मैं बाहर निकालने की | इसके कारण कई थे , जैसे की मैं सोचता था की किसी को मेरी कविताये पसंद नहीं आयेंगी , मुझे अच्छा लिखना नहीं आता | और भी इस तरह के कई विचार होते थे पर अब सोचता हूँ की दूसरों की पसंद मैं कैसे निर्धारित कर सकता हूँ अतः अब मैंने यह बीच का रास्ता निकला है अपनी कवितायेँ ब्लॉग पर पोस्ट करने का |
अब जिसकी इच्छा हो पढ़े अच्छी लगे तो ग्रहण करे न लगे तो कम से कम अपनी मूल्यवान सलाह तो दे ही सकता है |

Ma ka chitra

मन के कागज पर एक चित्र 
जो अद्भुत है पर नहीं विचित्र |
चिर परिचित है हम सब उससे 
वह गंगा  से  ज्यादा पवित्र ||

जो नहीं मिटाया जा सकता 
जो नहीं भुलाया जा सकता |
करले कोई कोशिश कितनी
पर नहीं हटाया जा सकता ||

नहीं  ऐसा  कोई चित्रकार 
जो  यह  चित्र  बना  पाए |
वह सहज स्वतः सबके भीतर 
बन जाता है मन कागज पर ||

ममता  का  सुन्दर  मधुर रंग
खुशियों के जल में जा घुलता |
फिर मिलकर प्रेम की कूची से 
मन के  कागज  को रंग देता ||

तब  बनता  है  एक  अक्श 
जो  होता  है  सबको  प्यारा |
माँ  का  वह  चेहरा   होता
इस दुनिया में सबसे न्यारा  ||

सारे  रंग  तो  फीके  पड़ते 
पर   यह  रंग  अनोखा  है |
जैसे  जैसे   समय  बीतता
गहरा      होता   जाता   है ||