समय नहीं रुकता पल को
क्यों व्यर्थ इसे तू खोता है |
जब पास में था तो सोता था
अब बीत गया तो रोता है ||
पर नहीं लौटकर आता जब
क्यों मातम व्यर्थ मनाता है |
होकर निराश क्यों जीवन से
पल नित नए व्यर्थ गंवाता है ||
क्यों नहीं जगता निद्रा से
जब नया सवेरा आता है |
यह आशाओं का नवल सूर्य
जब तुझको राह दिखाता है ||
अब जाग तोड़कर स्वप्न चक्र
युद्ध स्थल तुझे बुलाता है |
यह कार्य क्षेत्र की रणभूमि
क्यों इससे तू घबराता है ||
अब चौंक नहीं यह देख चमक
तलवार जिसे तू उठाता है |
मेहनत का है यही खड्ग
जो तुझको विजय दिलाता है ||
अब शत्रु दल तेरे आगे
इसे दलन तुही कर सकता है |
बाधाओं रुपी यह शत्रु
तेरी राह नहीं ढक सकता है||
मत रुकना जीवन मैं तब तक
जब तक ह्रदय नहीं रुक जाता |
लड़ते रहना अब उस पल तक
जब तक तू विजय नहीं पता ||
जब पास में था तो सोता था
अब बीत गया तो रोता है ||
पर नहीं लौटकर आता जब
क्यों मातम व्यर्थ मनाता है |
होकर निराश क्यों जीवन से
पल नित नए व्यर्थ गंवाता है ||
क्यों नहीं जगता निद्रा से
जब नया सवेरा आता है |
यह आशाओं का नवल सूर्य
जब तुझको राह दिखाता है ||
अब जाग तोड़कर स्वप्न चक्र
युद्ध स्थल तुझे बुलाता है |
यह कार्य क्षेत्र की रणभूमि
क्यों इससे तू घबराता है ||
अब चौंक नहीं यह देख चमक
तलवार जिसे तू उठाता है |
मेहनत का है यही खड्ग
जो तुझको विजय दिलाता है ||
अब शत्रु दल तेरे आगे
इसे दलन तुही कर सकता है |
बाधाओं रुपी यह शत्रु
तेरी राह नहीं ढक सकता है||
मत रुकना जीवन मैं तब तक
जब तक ह्रदय नहीं रुक जाता |
लड़ते रहना अब उस पल तक
जब तक तू विजय नहीं पता ||