Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Monday, June 13, 2011

गम की नदी

गम को छिपाया जा सका ,
दो बोल प्यारे बोलकर |
पर आग थी बुझ न सकी ,
मुस्कान का जल ढोलकर ||

थी चुभन बढ़ती गई ,
और दर्द भी बढता गया |
ये गम किसी से कम नहीं ,
बढ़ता रहा दिल खोलकर ||

जो घाव था नासूर बन ,
सत्ता दिखाता  है पुनः |
गर बनाया बांध जो ,
 गम की नदी पर वेबजह ||

जब सब्र टूटेगा ह्रदय का ,
बांध भी खुल जायेगा |
दर्द का भंडार फिर ,
बाहर निकलकर आएगा ||

बात यदि मानो मेरी ,
गम न छुपाना इस तरह |
बांध पीड़ा का ह्रदय में ,
ना बनाना इस तरह ||

खोल देना द्वार दिल के ,
मोड़ना रुख ओर मेरी |
रेत हूँ गम सोंखने को ,
या समझ पत्थर की ढेरी ||

बाँट देना गम ह्रदय के ,
भार कम हो जायेगा |
मन भरेगा फिर ख़ुशी से ,
तब गम नहीं सताएगा ||