Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Sunday, February 13, 2011

Atma Sambodhan


समय   नहीं  रुकता  पल को
क्यों व्यर्थ  इसे  तू खोता है |
जब पास में  था तो सोता था
अब बीत   गया  तो रोता है ||

पर नहीं  लौटकर  आता जब 
क्यों मातम  व्यर्थ मनाता है |
होकर  निराश  क्यों  जीवन से
पल नित नए व्यर्थ गंवाता है ||

क्यों  नहीं  जगता   निद्रा   से 
जब  नया  सवेरा  आता  है  |
यह   आशाओं  का  नवल सूर्य
जब तुझको राह  दिखाता है  ||


अब जाग तोड़कर स्वप्न चक्र
युद्ध   स्थल   तुझे बुलाता है |
यह  कार्य क्षेत्र  की  रणभूमि
क्यों   इससे  तू  घबराता है ||

अब चौंक नहीं यह देख चमक
तलवार   जिसे   तू उठाता है |
मेहनत  का  है  यही   खड्ग 
जो तुझको विजय दिलाता है ||


अब   शत्रु   दल  तेरे    आगे 
इसे दलन तुही कर सकता है |
बाधाओं     रुपी    यह    शत्रु 
तेरी राह नहीं ढक सकता है||

मत रुकना   जीवन मैं तब  तक
जब तक  ह्रदय नहीं रुक जाता |
लड़ते रहना    अब उस पल तक
जब तक तू विजय   नहीं पता ||

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