मानव छोड़ो बुरा आचरण और सीखो तुम सत आचार |
अब छोड़ो माँस का भक्षण अपनाओ तुम शाकाहार ||
होता नहीं सहन अब हमसे , थोड़ी सी तो दया विचार |
कहते मूक पशु बेचारे , बंद करो ये अत्याचार ||
बंद करो ये भूचड़खाने , जिनमे कटते पशु हजार |
अभी समय है बदलो जीवन ,खोलो नहीं नरक का द्वार ||
खोया अगर समय यह तुमने ,कभी नहीं आता दो बार |
कहते मूक पशु बेचारे , बंद करो ये अत्याचार ||
विषयों की अग्नि में जलकर , होता नहीं कभी कल्याण |
हड्डी के सम नीरस है, जिसे स्वाद मानकर खाता श्वान ||
मूक पशु पर दुराचार कर , बनते हो तुम क्यों बेकार |
कहते मूक पशु बेचारे , बंद करो ये अत्याचार ||
छोड़ो अपना बुरा क्रूर हठ , और सुनो तुम पशु पुकार |
अभी सम्हल जा नहीं तो आगे ,भटकोगे तुम सब संसार ||
दया धरम को धारण करके , पाओगे तुम सौख्य अपार |
कहते मूक पशु बेचारे , बंद करो ये अत्याचार ||
अभी समय है बदलो जीवन ,खोलो नहीं नरक का द्वार ||
खोया अगर समय यह तुमने ,कभी नहीं आता दो बार |
कहते मूक पशु बेचारे , बंद करो ये अत्याचार ||
विषयों की अग्नि में जलकर , होता नहीं कभी कल्याण |
हड्डी के सम नीरस है, जिसे स्वाद मानकर खाता श्वान ||
मूक पशु पर दुराचार कर , बनते हो तुम क्यों बेकार |
कहते मूक पशु बेचारे , बंद करो ये अत्याचार ||
छोड़ो अपना बुरा क्रूर हठ , और सुनो तुम पशु पुकार |
अभी सम्हल जा नहीं तो आगे ,भटकोगे तुम सब संसार ||
दया धरम को धारण करके , पाओगे तुम सौख्य अपार |
कहते मूक पशु बेचारे , बंद करो ये अत्याचार ||
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