जिन्हें वे दूर जाने को,
स्वयं मजबूर करते हैं |
उन्ही के याद आने की,
उन्ही के याद आने की,
शिकायत
लोग करते हैं ||
है दूरी प्यार का कारण,
बताया लोग करते हैं |
उन्ही के पास आने पर,
शिकायत लोग करते हैं ||
उम्र भर प्यार सच्चे की,
परीक्षा लोग करते हैं |
उन्ही के रूठ जाने पर,
शिकायत
लोग करते हैं ||
प्रेम के गीत है गाते,
प्रेम को
ब्रम्ह कहते हैं |
किन्ही के प्रेम करने पर,
शिकायत
लोग करते हैं ||
स्वयं देते दगा सबको,
दिखावा रोज करते है |
पर भरोसा तोड़ जाने की,
शिकायत लोग करते हैं ||
सभी खुशियाँ ज़माने की,
इकट्ठी कर नहीं पाते |
उमर के बीत जाने की,
शिकायत
लोग करते हैं ||
समर्पण को स्वयं से ही,
वे कोशों दूर रखते हैं |
किस्मत में न होने की,
शिकायत लोग करते है ||
स्वयं की खामियां अक्सर,
छिपाया लोग करते हैं |
मगर मजबूर होने की,
शिकायत लोग करते हैं ||
वे अपने सोचने के ढंग को,
नया आकार
देते हैं |
सभी के बदल जाने की,
शिकायत लोग करते हैं ||
खुशी के बाँट देने से,
कमी आती नहीं उसमे |
पर किसी के मुस्कुराने की,
शिकायत लोग करते हैं ||
अमित जैन
2/4/2012
No comments:
Post a Comment