Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Wednesday, February 9, 2011

Mere Shabd Jo Mere Na Ho Sake

                                    जो मै कहना चाहता हूँ  वह कह नहीं पता; मन की बात अपने मन में ही दबाये रह जाता हूँ कभी कभी  सोचता हूँ की ये शब्द मेरे मुह से निकलेंगे तो मेरे ही हुए सो कुछ भी बोल सकता हूँ | पर अगले ही पल फिर ख़याल आता है कही मुह से निकलकर ये तीर न बन जाये | इसीलिए नया रास्ता खोजा है मन की बात  को कहने का , उन शब्दों को बाहर निकलने का जो मेरे होते हुए भी मेरे न हो सके |

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