Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Friday, March 25, 2011

Paropkar

नदी
प्रारंभ करती है 
अपनी 
जीवन यात्रा |
दोनों ओर,
जीने की आशा ,
और
परोपकार का उद्देश्य
रुपी
तटों को साथ लेकर |
अनवरत 
चलती रहती है,
वगैर किसी स्वार्थ के ,
सभी की प्यास बुझाते हुए |
बाधाएं आती है ,
रास्ता रोकने के लिए ,
परन्तु
असफल रहे
किये गए सभी प्रयास
उनके ,
और नदी पाती है 
आशातीत सफलता |

सभी रुकावटों को 
तोड़कर
एकाकी 
वगैर किसी सहायता के 
और
जब अंत आया तो
इसी आशा से 
की
शायद 
कम कर सके 
खारापन ,
सागर का ,
अर्पण कर 
मीठा जल अपना ,
खो देती है अस्तित्व
विलीन होकर
सागर की गहराइयों में |

यही तो है ,
कहानी
प्रत्येक 
महापुरुष की
उपकार
स्व - का नहीं
पर का उपकार
परोपकार
             परोपकार
                              परोपकार........
 

1 comment:

Unknown said...

iske poet ka naam kya hai...