Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Friday, April 15, 2011

जन्म कल्याणक

आकुलित हुई मानवता थी 
थी बढती हिंसा की धारा | 
तम घोर घनेरा था छाया 
था चिंतित विश्व विकट सारा || 

तब माँ त्रिशला उदयाचल बन
तमहर  दिनकर  लेकर आयीं |
फिर देख वीर  की मुख मुद्रा 
सारे जग  में खुशियाँ छायी ||

हर्षित थी नगरी कुण्डलपुर 
देवों  में खुशियाँ  थी छायीं |
था गर्व  पिता की आँखों में
माँ की अँखियाँ भी भर आयीं ||

पाने को एक  छवि  प्रभु की
वह इन्द्र जमीं पर आया था |
कर नेत्र हजारों से दर्शन ||
मन तृप्त  नहीं कर पाया था ||

अवसर था जन्म दिवस प्रभु का
खुशियाँ लेकर  के आया  था |
सबका  कल्याण हुआ  इससे 
अतः कल्याणक कहलाया था || 

वह शुभ दिन आज पुनः आया 
जन जन का मन है हर्षाया | 
करने को वंदन अभिनन्दन 
यह सेवक चरणों में है आया ||

अब आश यही कल्याणक से
मैं बनू आपका अनुगामी |
चलकर पद चिन्हों  पर तेरे 
बनना  है स्वयं मोक्षगामी ||

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