हम प्रतिसमय
स्वप्नमय है ,
आँखे
बंद हो अथवा खुली
कोई अंतर नहीं |
क्योंकि
जीवन प्रवाह
अनवरत गतिमान है
दोनों ही परिस्थितियों में
दृश्यावलोकन
सतत है
दोनों हो परिस्थितियों में ,
कुछ दृश्य स्मृत है
पर कुछ विस्मृत ,
दोनों हो परिस्थितियों में ,
अतः
जीवन
एक स्वप्न है
दोनों ही परिस्थितियों में ........
No comments:
Post a Comment