Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Wednesday, February 22, 2012

समझ

मैं निरा मूरख समझ अल्फाज की मुझमे नहीं |

क्या समझ वह पाउँगा जिसकी कोई भाषा नहीं ||

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