Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Tuesday, March 15, 2011

Main Kaun Hu

मेरा मन हो जाता विचलित
उठती  है  लहरें  सागर वत |
आमूलचूल तक सिहरन सी
कर देती  है  मुझको  आहत||
   
ऐसा   तूफान   उफनता   है
कर देता है मुझको आहत |
मेरा   मन  घबरा  जाता  है 
खोई  सी  जाती है हिम्मत ||

जब  उठते  है  कई  प्रश्न 
मेरे जीवन से सम्बंधित |
है प्रश्न कई कोई अंत नहीं
लगता है मानो हो पर्वत ||

मै जीता तो हूँ पर किसको ?  
मेरा जग  से  क्या नाता है ?
क्यों आया हूँ ? क्यों जाऊंगा ?
क्यों दौलत यहाँ कमाऊंगा?

क्यों देख रहा? क्यों जान रहा ?
क्यों सबको अपना मान रहा?
जब जाना है एक दिन सबको 
फिर रिश्ता क्यों पहचान रहा ? 
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( अधूरी कविता )

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