Shabd jo kabhi sunai na diye

आँखों की नमी को ख़ुशी के आंसू बताना , कहना सब कुछ ठीक है फिर थोडा मुस्कुराना , भले दिल में हो दर्द पर हमदर्द बन जाना , देखा, कितना आसान है किसी भी गम को छुपाना ||

Monday, April 4, 2011

Pahle esa Kabhi Hota to Nahi tha

देखे   थे   मैंने  सपने   रातों  में   कई बार |
पर जागते हुए सपनो में, खोता तो नहीं था  ||

हँसता  था  पहले  सबको  हसाता  भी  था  |
पर इस तरह वेबजह, मुस्कुराता तो नहीं था ||
 पता  नहीं  अब  क्या हो  गया  है  मुझे |
 पहले  ऐसा  कभी  ,होता  तो नहीं था||

चाहता  था  मिलना  उससे  हर  पल हर घडी |
पर  इस  तरह  सबसे ,छिपता  तो नहीं था  ||

आती  थी  मिलने  वह  भी  मुझसे  कई बार |
पर  इस तरह आंखे कभी  चुराता तो नहीं था  ||

 पता  नहीं  अब  क्या हो  गया  है  मुझे |
 पहले  ऐसा  कभी  ,होता  तो नहीं था||
 
चलता  था  रास्तों  पर  पहले भी हर रोज |
पर रास्तों में कहीं पर , खोता तो  नहीं था ||
  
रोया  था  जिंदगी  में पहले  भी  कई बार |
पर  हँसते  हँसते  कभी, यूँ रोता तो नहीं था ||

 पता  नहीं  अब  क्या हो  गया  है  मुझे |
 पहले  ऐसा  कभी  ,होता  तो नहीं था||

रातों को जागना अच्छा लगता था मुझे |
पर  बैठे  बैठे  ही  रातें , बिताता तो नहीं था ||

बातें  करते  करते  कब हो जाती थी शाम  |
पर  इस  तरह कभी चुप , होता तो नहीं था  ||

 पता  नहीं  अब  क्या हो  गया  है  मुझे |
 पहले  ऐसा  कभी  ,होता  तो नहीं था||

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