देखे थे मैंने सपने रातों में कई बार |
पर जागते हुए सपनो में, खोता तो नहीं था ||
हँसता था पहले सबको हसाता भी था |
पर इस तरह वेबजह, मुस्कुराता तो नहीं था ||
पता नहीं अब क्या हो गया है मुझे |
पहले ऐसा कभी ,होता तो नहीं था||
चाहता था मिलना उससे हर पल हर घडी |
पर इस तरह सबसे ,छिपता तो नहीं था ||
आती थी मिलने वह भी मुझसे कई बार |
पर इस तरह आंखे कभी चुराता तो नहीं था ||
पता नहीं अब क्या हो गया है मुझे |
पहले ऐसा कभी ,होता तो नहीं था||
चलता था रास्तों पर पहले भी हर रोज |
पर रास्तों में कहीं पर , खोता तो नहीं था ||
रोया था जिंदगी में पहले भी कई बार |
पर हँसते हँसते कभी, यूँ रोता तो नहीं था ||
पता नहीं अब क्या हो गया है मुझे |
पहले ऐसा कभी ,होता तो नहीं था||
रातों को जागना अच्छा लगता था मुझे |
पर बैठे बैठे ही रातें , बिताता तो नहीं था ||
बातें करते करते कब हो जाती थी शाम |
पर इस तरह कभी चुप , होता तो नहीं था ||
पता नहीं अब क्या हो गया है मुझे |
पहले ऐसा कभी ,होता तो नहीं था||
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